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________________ होता है। चेलनाने उत्तर दिया कि हे पुत्र! तुमने कोनसा अच्छा काम किया है कि जिस्के जरिये मुझे खुशी हो। क्यों कि मैं तो गर्भमें आया था जबहीसे तुझे जानती थी, परन्तु तेरे पिताने तेरेपर बहुतही अनुराग रखा था जिस्का फल तेरे हाथोंसे मीला है अर्थात् तेरे देवगुरु तुल्य तेरा पिता है उन्होंको पिंजरेमें बन्ध कर तुं राजप्राप्त कीया है, यह कितने दुःखकी वात है. अब तुंही कह के मुझे किस बातकी खुशी आवे । ____ कोणकके पूर्वभवका वैर श्रेणिकराजासे था वह निवृत्ति हो गया. अब चेलनाराणीके वचनका कारण मीलनेसे कोणकने पुच्छा कि हे माता! श्रेणिकराजाका मेरेपर केसा अनुराग था. तब गर्भसे लेके सब बात राणी चलनाने सुनाइ । इतना सुनतेही अत्यन्त भक्तिभावसे कोणक बोला कि हे माता! अब मैं मेरे हाथसे पिताका बन्धन छेदन करुंगा। एसा कहके कोणकने एक कुरांट (फी) हाथमें लेके श्रेणिकराजाके पास जाने लगा। उधर राजा श्रेणिकने कोणकको आता हुवा देखके विचार किया कि पेस्तर तो इस दुष्टने मुझे बन्धन बांधके पिंजरामें पुर दीया है अब यह कुरांट लेके आरहा है तो न जाने मुझे कीस कुमौतसे मारेगा. इससे मुझे स्वयंही मर जाना अच्छा है, एसा विचारके अपने पास मुद्रिकामे नंग-हीरकणी थी वह भक्षण कर तत्काल शरीरका त्याग कर दीया. जब कोणक नजदीक आके देखे तो श्रेणिक निःचेष्ट अर्थात् मृत्यु पाये हुवे शरीरही देखाइ देने लगा. उस समय कोणकने बहुत रूदन-विलाप किया परन्तु भव्यताको कोन मीटा सके. उस समय सामन्त आदि एकत्र होके कोणकको आश्वासना दी. तब कोणकने रूदन करता हुवा तथा अन्य लोक मीलके श्रेणिकका निर्वाण कार्य अर्थात् मृत्युक्रिया करी। बत्पश्चात् कितनेक रोजके बाद कोणकराजा राजगृहीमें निवास
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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