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________________ १०९ उस चम्पानगरीके अन्दर कोणक नामका राजा राज कर राहाथा जिसके पद्मावति नामकि पट्टराणी अति सुकुमाल ओर सुन्दराङ्गी, पांचेन्द्रिय परिपूर्ण महीलावोंके गुण संयुक्त अपने पति के साथ अनुरक्त भोग भोगव रहीथी । उस चंपा नगरी में श्रेणकराजाका पुत्र काली राणीका अंगज. काली नामका कुँमर वसताथा। एक समयकि वात है कि कालीकुमार तीन हजार हस्ती. तीन हजार अभ्व. तीन हजार रथ. और तीन क्रोड पेदलके परिवार से. कोणकराजा के साथ रथमुशल संग्राममे गया था । काली कुमारकी माता कालीराणी एक समय कुटम्ब चिंता में वरतती हुइ एसा विचार कियाकि मेरा पुत्र रथमुशल संग्राम में गया है वह संग्राममें जय करेगा या नहीं ? जीवेगा या नही ? में मेरा कुँमरकों जीता हुषा देखुगा या नही ? इस वातोंका आर्तध्यान करने लगी । भगवान् वीरप्रभु अपने शिष्य समुदायके समुहसे पृथ्वीमंडलकों पवित्र करते हुवे चम्पानगरीके पुर्णभद्र उद्यानमे पधारे। परिषदावृन्द भगवन्कों वन्दन करनेकों गये. इदर कालीराणीने भगवन् के आगमनकि वार्ता सुनके विचार किया कि भगयान सर्वज्ञ है चलो अपने मनका प्रश्न पुच्छ इस वातका निर्णय करे कि यावत् मेरा पुत्र जीवताकों मैं देखुगी या नही । कालीराणीने अपने अनुचरोंकों आदेश दीया कि मैं भगवानकों वन्दन करने के लिये जाती हु वास्ते धार्मीक प्रधानरथ. अच्छी सजावटकर तैयार कर जल्दी लावों । कालीराणी आप मज्जन घरके मज्जन कर अपने धारण करने योग अन्दर प्रवेश किया स्नान वस्त्राभूषण जोकि बहुत किं
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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