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इसी माफीक महाकालीराणी दीक्षा ले यावत् लघु सिंहकी चाली माफीक तप करा यथा--एक उपवास कर पारणा कीया फीर दोय उपवास कीया पारणा कर, एक उपवास पारणा कर तीन उपवास पारणा कर दोय उपवास, पारणोकर च्यार उपवास पारणो कर तीन उपवास, पारणो कर पांच उपवास, पारणो कर च्यार उपवास, पारणो कर छे उपवास, पारणो कर पांच उपवास, पारणो कर सप्त उपवास, पारणो कर छे उपवास, पारणो कर आठ उपवास करे, सात उपवास करे०, नव उप०, आठ उपः, नव उप०, सात उप०, आठ उप०, छे उप०, सात उप०, पांच उ०, छे उ०, च्यार उ०, पांच उ०, तीन उ०, च्यार उ०, दोय उ०, तीन उ०, एक उ०, दोय उ०, एक उ०, एक ओलीकों १८७ दिन लागे पूर्ववत् च्यार ओलीकों दोय वर्ष अठावीश दिन लागे । यावत् सिद्ध हुई ॥३॥
इसी माफीक कृष्णाराणीका परन्तु उन्होंने महासिंह निकस तप जो लघुसिंह० वडते हुवे नव उपवास तक कहा है इसी माफीक १६ उपवास तक समझना एक ओलीको एक वर्ष छ मास अढारा दिन लगा था । च्यार ओली पूर्ववत्कों छे वर्ष दोय मास मारह दिन लगा था यावत् मोक्ष गइ ॥ ४ ॥ ___ इसी माफीक सुकृष्णराणी परन्तु सत्त सत्तमियों कि भिक्षु प्रतिमा तप कीया था यथा-सात दिन तक एक एक आहार कि दात' एकेक पाणीकी दात । दूसरे सात दिन तक दो आहार दो
१ दातार देते समय बिचमे धार खंडित न हो उसे दात केहेते हैं जैसे मोदक दते समय एक बुर पड जाये तथा पाणी देते समय एक बुंद गिर जावे तो उसे भी दात कहते हैं । अगर एक ही साथमे थालभर मोदक ओर घडाभर, पाणी देतो भी एकही दात हैं