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नवमाध्ययन- द्वारका नगरी बलदेवराजा धारणी राणीके सिंह स्वप्न । सूचित सुमुह नामका कुमरका जन्म हुवा कलाप्रविण पचास राजकन्याओं के साथ कुमारका लग्न कर दीया दतदायजो पूर्व गौतम माफीक यावत् भोगविलासोंमे मग्न हो रहाथा।
श्री नेमिनाथ भगवानका आगमन । धर्म देशना श्रवण कर सुमुह कुमार संसार त्याग दीक्षाव्रत ग्रहन कीया चौदा पूर्व ज्ञान बीस वरस दीक्षा व्रत एक मासका अनसन श्री शत्रुंजय तीर्थपर अन्तिम केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गया । इसी माफीक दशवा ध्ययनमें दुमुहकुमार इग्यारवा ध्ययनमें कोवीदकुमार यह तीनो भाइ बलदेवराजा धारणी राणीके पुत्र दीक्षा लेके चौदाह पूर्व ज्ञान ate वर्ष दीक्षा एक मास अनसन शत्रुंजय अन्तगढ केवली हो मोक्ष गये । और बारहवा दारुणकुमार तेरवा अनाधीठकुमार यह वासुदेवराजा धारणीराणीके पुत्र पचास अन्तेवर त्याग दीक्षा ले सुमुहकि माफीक श्री सिद्धाचल तीर्थपर अन्तगढ केवली हो मोक्ष गया । इति तीजा वर्गके तेरवां अध्ययन तीजा वर्ग समाप्तम् ।
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(४) चोथा वर्गका दश अध्ययन |
द्वारामती नगरी पूर्ववत् वर्णन करने योग्य है। द्वारामतीमें वसुदेवराजा धारणी राणी सिंह स्वप्न सूचित जाली नामका कुमारका जन्म हुवा मोहत्सव पूर्ववत् कलाचार्य से ७२ कलाभ्यास जोबन वय ५० अन्तेवरसे लग्न दतदायजो पूर्ववत् ।
श्री नेमिनाथ भगवानकी देशनासुन दीक्षा लोनी द्वादशांगका ज्ञान साला वर्ष दीक्षापाली शत्रुंजय तीर्थपर एक मासका अनसन अन्तिम केवलज्ञान प्राप्तकर मोक्ष गया इति । इसी माफीक