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________________ लडकी हैं ? आदमी बोले कि यह सोमल ब्राह्मणकी लडकी हैं कृष्णने कहा कि जावो इसको कुमारे अन्तेवरमें रख दो गजेसुकुमालके साथ इसका लग्न कर दीया जावेगा। आज्ञाकारी पुरुषोंने सोमाके बापकी रजा ले सोमाको कुमारे अन्तेवरमें रख दी। कृष्णवासुदेव गजसुकुमालादि भगवान समीप वन्दन नमस्कार कर योग्य स्थान पर बेठ गये। भगवानने धर्मदेशना दी. है भव्य जीवों! यह संसार असार है जीव राग द्वेष के बीज बोके फीर नरक निगोदादीके दुःखरुपी फलोंका आस्वादन करते हैं “खीणमत्त सुखा बहुकाल दुःखा" क्षणमात्रके सुखोंके लीये दीर्घकालके दुःखोंको खरीद कर रहे है। जो जीव बाल्यावस्था में धर्मकार्य साधन करते है वह रत्नोंके माफीक लाभ उठाते है जोजीव युवावस्थामें धर्मकार्य साधन करते है वह सुवर्णकी माफीक और जो वृद्धावस्था में धर्म करते है वह रुपेकी माफीक लाभ उठाते है। परन्तु जो उम्मरभरमें धर्म नहीं करते है वह दालीद्र लेके परभव नाते है वह परम दुःखको भोगवते है। वास्ते हे भव्य ! यथाशक्ति आत्मकल्याणमे प्रयत्न करो इत्यादि देशना श्रवण कर यथाशक्ति त्याग-प्रत्याख्यान कर परिषदा स्वस्थान गमन करती हुइ । गजसुकुमाल भगवानकी देशना सुन परम वैराग्यको धारण करता हुवा बोला कि हे भगवान् ! आपका फरमाया सत्य है मैं मेरे मातपिताओंसे पुछके आपके पास दीक्षा लेउंगा ? भगवानने कहा "जहासुखम्" गजसुकुमाल भगवानको वन्दन कर अपने घरपर आया मातासे आज्ञा मांगी यह बात श्रीकृष्णको मालुम हुइ कृष्णने कहा हे लघु बान्धव! तुम दीक्षा मत लो राज करो। गजसुकुमाल बोला कि यह राज, धन, संप्रदा सभी कारमी है और में अक्षय सुख चाहता हुं अनुकूल प्रतिकूल बहुतसे प्रभ हुवे परन्तु जिसको आन्तरीक वैराग्य हो उसको कोन मीटा सकते
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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