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________________ (२) आगर-नहापर सुवर्ण चांदी रत्नादिकि खाणो हो । (३) नगर-किसी प्रकारका कर न हों सेहर पन्ना गोलाकार हों उसे नगर केहते है तथा लम्बीजादा चोडी कम हो उसे नगरी (४) निगाम-जहा वैश्यलोंकाधिकहो अन्यलोक कम हो (५) राजधानी-जहापर रान तक्तहो राजानिवास करता हो। (६) खेड-सेहार बाहीर धूलका प्रकोटा हो । (७) करवट-जहा कुश्चित लोक वसते हो। (८) मंडव अढाई अढाई कोषपर ग्राम न हो। (९) दोणीमुख-जल और स्थल दोनों रहता हो । (१०) पट्टण-तुलमा नपमा गीणमा और परखमा यह च्यार प्रकारका माल मीलता हो और बाहा से आनेपर विक्रय भी हो जाता हो उसे पट्टण कहते है। (१९) आश्रम=नहापर तापसोके निवास वाले आश्रम हो। (१२) संव्रत-पतोंके नजीक करसानोका संव्रत हो । (१३) घोषस-गोपालकादिका निवास हो। (१४) पन्थस-पन्थीलोक आते जाते निवास करते हो। (१५) बह्मस=दुष्कालादिसे अन्यदेशोंके लोकनिवाप्त किया हो (१६) सनिवेस-सब जातीके लोकोंका स्वल्प निकास हो । ...इन्हींके सिवाय जंगलादिमें जो प्राणियों होते. हे वह
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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