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भगवानसे अर्ज करी कि में श्रीशनंजय तीर्थ (पर्वत) पर जाके अनशन करुं । भगवानने कहा “जहासुखम्" बस, गौतममुनि सर्व साधुसाध्वीयोंको खमाके धीरे धीरे शत्रुजय तीर्थ पर स्थिवरोंके साथ जाके आलोचना कर सब बारह वर्षकी दीक्षा पालके अनशन कर दोया. आत्मसमाधिमे एक मासका अनशन पूर्ण कर अन्त समय केवल ज्ञान प्राप्त कर शत्रुओंका जय करनेवाले शत्रु'जय तीर्थ पर अष्ट कर्मोसे मुक्त हो शाश्वता अव्याबाध सुखोंके अन्दर सादि अनन्त भांगे सिद्ध हो गये । इति प्रथम अध्ययन ।
इसी माफीक शेष नव अध्ययन भी समझना यहां पर नाम मात्र ही लिखते है । समुद्रकुमार १ सागरकुमार २ गंभिरकुमार ३ स्तिमितकुमार ४ अन्वलकुमार ५ कपिलकुमार ६ अक्षोभकुमार ७ प्रश्नकुमार ८ विष्णुकुमार ९ एवं यह दश ही कुमार अन्धक विष्णु राजा और धारणी राणीका पुत्र है। आठ आठ अन्तेवर और राज त्याग कर श्रीनेमिनाथ प्रभु पासे दीक्षा ग्रहण करी थी तपश्चर्या कर एक मासका अनशन कर श्रीशजय तीर्थ पर कर्मशत्रुओंको हटाके अन्तमें केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गये थे इति प्रथम वर्ग समाप्तम्।
(२) दुसरा वर्ग जिसके आठ अध्ययन है।
- अक्षोभकुमर १ सागरकुमर २ समुद्रकुमर ३ हेमवन्तकुमर ४ अचलकुमर ५ पूरणकुमर ६ धरणकुमर ७ और अभिचन्द्रकुमर ८ यह आठ कुमारोंके आठ अध्ययन "गौतम" अध्ययनकी माफीक विष्णु पिता धारणी माता आठ आठ अन्तेवर त्यागके श्रीनेमि. नाथ भगवान समीपे दीक्षा ग्रहण गुणरत्नादि अनेक प्रकारके तप