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________________ व आदि पदार्थके अच्छे ज्ञाता हो गये थे। और श्रावकव्रतको अच्छी तरहसे पालते हुवे भगवान की आज्ञाका पालन कर रहे थे । - यह वार्ता गोशालाने सुनि कि शकडाल० वीरप्रभुका भक्त बन गया है तव वहांसे चलकर पोलालपुरको आया । उसका वि. चार था कि शकडालको समज्ञाके पीछा अपने मतमे ले लेना। गोशालाने अपने भंडोपकरण रखके सिधा ही शकडाल पुत्र श्रावकके पास आया। किन्तु शकडाल श्रावकने गोशालाको आदर-सत्कार नहीं दिया, इतना ही नहीं किन्तु मनमें अच्छा भी नहीं समझा और बुलाया भी नहीं तब गोशालाने विचारा कि इन्हीके दुकानों सिवाय कोइ उताराकी जगा भी नहीं है इसके लिये अब भगवान महावीर स्वामिका गुण किर्तन करने के विना अपनेको उतारनेको स्थान मीलना मुशकील है। एसा विचार कर गोशाला, शकडाल श्रावक प्रति बोला-क्यों शकडाल पुत्र! यहांपर महा महान् आये थे ? शकडाल बोला कि कौनसा महा महान ? गोशालाने कहा कि भगवान वीरप्रभु महा महान् । शकडाल वोला कि कीस कारणसे महामहान् ? ... गोशाला बोला कि भगवान महावीर प्रभु उत्पन्न केवलज्ञान केवल दर्शनके धरनेवाले त्रैलोक्य पूजनीय यावत् मोक्षमें पधारने वाले हैं (जिसका उपदेश है कि महणो महणो) वास्ते भगवान वीरप्रभु महामहान है। गोशाला बोला कि हे शकडाल! यहां पर महागोप आये थे ? शकडालने कहा कि कौन महागोप ? गोशालाने कहा कि भगवान धोरप्रभु महागोप ?
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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