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(१) . यह पांच सूत्र रत्नप्रभा नारकीके माफिक समझना एवं प्रा भायतन संस्थान भी कहना. अब अल्पाबहुत कहते हैं। (१) सं० प्रदेशी परिमंडल सं० प्र० अवगाहाकी अल्पा.
(द्रव्य ) (१) सबंसे स्तोक प्रचर्म द्रव्य (२) चरम द्रव्य सं० गु० (३) चरमाचर्म द्रव्य वि०
(प्रदेश) (१) सबसे स्तोक चर्म प्रदेश (२) अचर्म प्रदेश सं० गु० (३) चर्माचर्म प्रदेश वि०
(द्रव्य प्रदेश सामिल )... (१) सबसे स्तोक अचर्म द्रव्य (२) चर्म द्रव्य सं० गु० । (३) चर्माचर्म द्रव्य वि० (४) चर्म प्रदेश सं० गु० (५) अचर्म प्रदेश सं० गु० (६) चर्माचर्म प्रदेश वि०
एवं भायतन संस्थान तक भी कहना.
(२) असं० प्रदेशी परिमंडलसंस्थान संख्यात प्रदेश प्रवमामोंकी अल्पा० तीनों उपरवत् समझ लेना । __ (३) असं० प्रदेशी परिमण्डलसंस्थान असं० प्रदेश भवगायोंकी तीनों अल्पा० उपरवत् समझ लेना परन्तु जहाँ संख्याता कहा है वहां असंख्याता कहना रलप्रभावत् ।
(४) अनंतप्रदेशी परिमंडलसंस्थान संख्यात प्रदेश मन'. गाझोंकी तीनों अल्लाबहुत्व संख्यात प्रदेशी संख्यात प्रदेश
भवगाहोंकी माफिक समझना परन्तुं संक्रमण अतंतगुणा काना।