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________________ (HE ' ... . ... संतान सरल और प्रज्ञावन्त होनेसे उन्होंकों किसी भी पदार्थ पर ममत्व भाव नहीं है और वीरमगवानके मुनि, जड़ और वक होनेसे उन्होंके लिये उक्त कायदा रखा गया है परन्तु दोनोंका धेय, एक ही है कि धर्मोपकरण मोक्षमार्ग साधन करने में साहितामूळ जानके ही रखा जाता है। केशीश्रमण-हे गौतम आपने इस शंकाका अच्छा समाधान किया परन्तु और भी मुझे प्रश्न करना है। परिषदा भी श्रवण करके बड़े ही आनन्दको प्राप्त हुई है। . गौतम-हे भगवान आप कृपा करके फरमाइये । । (३) हे गौतम ! इस संसार चक्रवालमें हजारों दुस्मनों हैं उन्ही दुस्मनों (वरी) के अन्दर आप निवास किस प्रकारसे करते है और वह दुस्मन आपके सन्मुख युद्ध करनेकों बराबर आते हूके और हुमला करते हुवे कि माप दरकार नही रखते हुवे भी. दुस्मनोंकों केसे पराजय करते हुवे विचरते हो । () हे भगवान-जो दुस्मन है वह सर्व मेरे जाने हुवे हैं इन्ही दुस्मनोंका एक नायक है उन्हीको म्है मेरे कब्जेमें प्रथमसे ही कर रखा है और उन्ही नायकके च्यार. उमराव है. वह तो हमेंशके लिये मेरे दाश ही बन रहे हैं और उन्ही नायकके रानमें पांच पंच है वह मेरे आज्ञाकारी ही है. इन्ही दुस्मनोंमें यह १-४-६=१० मुख्य योद्धा है इन्हीकों अपने कब्जेमें कर लेने पीछे विचारे दुसरे दुस्मन तो उठके बोलने समर्थ भी काहासे हो के इस वास्ते महै इन्ही दुस्मनोंका पराजय करता हुवा. मुखपूर्वक बानन्दमें विचरता हु।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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