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(८) पदकी आराधन करते है तथा शेष कर्म रेहमानेपर वैमानिक देवोंमें जाने योग्याराधना होती है वहांसे मनुष्य होके मोक्ष जाता है ।
(१५) प्रश्न-काल प्रतिलेखन ( प्रतिक्रमण करने के बाद स्वद्याय करनेके लिये आकाशकि १० अस्वद्यायका प्रतिलेखन) करनेसे क्या फल होता है ?
(उ) कालप्रतिलेखन करनेसे जीवोंके ज्ञानावर्णिय कर्मका क्षय होता है कारण कालप्रतिलेखन करने पर सर्वसाधु सुन पूर्वक सुत्रोंका पठन पाठन कर शक्ता है इन्होंसे ज्ञानपदकी आराधना होती है ?
(१६) प्रश्न-लगे हुवे पापोंका गुरु मुखसे आगमोक्त प्रायश्चित लेनेसे जीवोंको क्या फल होता है ? .... (उ) गुरु मुखसे पापोंका प्रयाश्चित लेनेसे पापोंसे विशुद्ध होते हुवे निरातिचार हो जाते हैं इन्हीसे आचार धर्मका आराधिक होते हुवे मोक्ष मार्गकोंनिर्मल करता है । ' (१७) प्रश्न-किसी भी जीवोंके साथ अनुचित वर्ताव होने पर उन्हिसे माफी अर्थात् क्षमत्क्षामणा करनेसे जीवोंको क्या फल होना है।
(उ) किती० सर्व जीवोंसे क्षमत्क्षामणा करनेसे अन्तःकरणसे प्रशस्थ भावना होती है प्रशस्थ भावना होनेसे सर्व प्राण मृत जीव सत्वसे मित्र भावना उत्पन्न होता है इन्होंसे अपने भावोंकि विशुद्धि होती है और सर्व प्रकारके मयसे मुक्त होते हुने निर्भय होके निज स्थानको प्राप्त कर लेते हैं।