SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 365
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५५ प्रत्येक जघन्य असंख्यातेकि जो रासी है उन्हीकों रासी अभ्यास करे यथा - कोई आचार्योंका मत्त है कि जितना दाना रासीमें है उन्हीकों उतना गुणा करना जेसे कल्पनाकि रासीमें १०० दाना हो तो सोकों सोगुणा करनेसे १०००० होता है। दुसरा आचार्यों का मत है कि रासीमें जितने दाने है उन्हीकों उतनीवार गुणा करना जेसे रासीमें १० दानोंकि कल्पना कि जाय । १-१-१-१-१-११-१-१-१ १०-१०-१०-१०-१० -१०-१०-१०-१०-१० ( १ ) १०० प्रथम दशकों दशगुणा करतों. ( २ ) १००० सोकों दशगुणा. (३) १०००० हजारकों दशगुणा. (४) १००००० दशहजारको दशगुणा (५) १०००००० लचको दशगुणा (६) १००००००० पूर्वकों दशगुणा (७) १०००००००० (८) १००००००००० (६) १०००००००००० (१०) १००००००००००० 15 - 19 यह तो कम्पनाकि रसी इ परन्तु जो जघन्य प्रत्येका 99 11 " " 99 99
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy