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आया हूं कारण जातिस्मरणादि ज्ञानसें जेसे मृगापुत्रकुमार या महाबलकुमारादि और कितनेक ज्ञानवन्तोंके पाससे सुननेसे जानते है जेसे मेघकुमार भगवान के पास अपना भव सुननेसे आना की में पूर्वभवमें हस्ती था इत्यादि ।
ज्ञानीपुरुषोंसे श्रवण करनेसे विशेष ज्ञान भी होसक्ते है तस्वदृष्टीसे बतलाये जाय तो सम्यक्त्व प्राप्तीके मौख्य च्यार
(१) आत्मवाद-आत्मा चैतन्य अरुपि अमूर्ति अखंड अमल शुद्धनिर्मल ज्ञानदर्शन चरित्रमय सद् चदानन्द असंख्यात प्रदेशमय सास्वत है निश्चय नयसे अकर्ता अभुक्त शुद्ध उपयोगमय है इन्हीसे शास्त्रकारोने पांच भुत बादी-या नास्तिक बादीयोंका निराकार कीया है।
(२) लोक वादी-जहां पांचास्तिकाय है उन्हीकों लोक कहाजाता है वह लोक असंख्याते कोडोन कोड योजनका है जिस्का भि तीन भेद है (१) उर्ध्वलोक ( बारह देवलोक नौग्रीवैग पांचानुत्तर वैमान ) (२) अधोलोक सात नारकरूप ( ३ ) तीरच्छो लोक जिस्मे जम्बुद्विपादि असंख्याते द्विप लवणसमुद्रादि असंख्याते समुद्र यावत् संभुरमण समुद्र तक तथा अधोलोक विशेष विस्तारवाला है तीर