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वृत दिप
१०२४ , २०४८ ,, ४०६६ ,, ८१६२,
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२८८२८८ ७७६४२४ २६६११२० ६०८५६३२
इसु दिप " समुद्र
इति सात द्विप सात समुद्र । सेवंभंते सेवंभंते तमेव सञ्चम् ॥
थोकडा नम्बर ३
(सूत्र श्री जीवाभिगम प्र०३)
( नन्दीश्वर द्विप ) इतुसमुद्रके चौतर्फ गोल वलीयाके आकारे नन्दीश्वर द्विप है वह १६३८४००००० जोजनके विस्तारवाला है साधिक तीनगुण परद्धि है। नन्दीश्वर द्विपका भूमिविभाग अच्छा सुन्दर देवोंका मनको हरनेवाला है द्विपके मध्यभागमें च्यार पर्वत श्यामवर्णका अञ्जनगिरि पर्वत है पूर्वदिशामें पूर्वाञ्जगिरि। दक्षिणदिशामें दक्षिणाञ्जनगिरि । पश्चिमदिशामें पश्चिमाञ्जन