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तीर्थ
२०४
श्रेणी
परिवारनदी
२६१२००० २६१२०००
३२ बैताडपर्वत
३४ वटवैताड वासा-क्षेत्र ७-१० १४-२०
१४-२० चन्द्रसपरिवार
७२ सूर्यसपरिवार
७२ १०२ २०४ ६८ १३६ १३६
१३६ १३६ कुलपर्वत
५४० ५४० कुलकुंट
१०५० १०५० कुलसिद्धायतन ११ १८२ । १८२ ____मानोषोत्र पर्वतके बाहार जो आठलक्ष परिमाण पुष्कर्द्ध क्षेत्र हे वह मनुष्य सुन्य है अन्दरका पुष्कर्द्ध क्षेत्र कि नदीयोंका पाणी मानोषोत्र पर्वतकों भेदके बाहारका पुष्कर्द्धमे जाता है।
आगेके द्विपसमुद्रका नाम मात्र लिखा जाते है सर्व द्विपसमुद्रोंके च्यार च्यार दरवाजा है जम्बुद्विपके जगति है
गुफा
२६६
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