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३४ ऋषभकुंट एवं ५८ सर्व मीलके ५२५ कुंट है जिस्मे छे वर्षधरपर्वतोंका ५६ शोलावस्कारोंका ६४ च्यार गजदन्ताका ३० नन्दनवनका ८ भद्रशालवनका ८ एवं १६६ कुंट प्रत्यक कुंट ५०० जोजनका उचा ५०० जो० मूल पहला शीखर पर २५० जोजन विस्तारवाला है ओर गजदन्ताके २ नन्दनवनका १ एवं ३ कुंट १००० जो० का उचा तथा मूलमे १००० जो० का पहला शीखरपर ५०० जो पहूल है एवं १६६ ___चौंतीस वैताब्यका ३०६ कुंट २५ गाउका उचा ओर मूल पहला तथा शीखर पर १२॥ गाउका पहूला है । जम्बुपीठका ८ सामली पीठका ८ ओर ऋषभकुंट ३४ एवं ५० कुंट
आठ जोजनका उचा आठ जोजनका मूलमे पहूला ओर शीखर पर ४ जोजका पहला है एवं कुल ५२५ कुंट समझना ।
उपर जो ५२५ कुंट कहे है इन्हीमें ७६ कुंट परतों जिनमंदिर है शेष ४४६ कुंट पर देवता और देवीयोंका भुवन है यथा-छ वर्षधरपर्वतों पर छे जिन मन्दिर-शोलावस्कार पर्वतों पर १६ जिनमन्दिर । च्यार गजदन्तों पर च्यार जिनमन्दिर पाठ देवकूर आठ उत्तरकूरू और चौतीस वैताड्य पर्वतो पर ३४ जिनमन्दिर एवं कुल ७६ जिनमन्दिर है इन्हीके सिवाय भद्रशालवनमे ४ नन्दनवनमे ४ सुमानसवनमे ४ पंडग वनके च्यार ४ मेरू चुलाका पर १ जम्बु वृक्ष पर १ सामली वृक्ष पर १