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थोकडा नं. ७
सूत्रश्री जम्बुद्विपप्रज्ञाप्ती.
( खण्डा जोयण ) गाथा-खंडा जोर्यण वासा.
पवय कूडा तित्थ सेढीओ। विजय दह सलिलाओ,
पिंडए होइ संगहणी ॥१॥ इस लक्ष जोजनके विस्तारवाले जम्बुद्विपकों १. द्वारसे बतलाये जावेगे.
(१) खंडा-जम्बुद्विपका भरतक्षेत्र परिमाण कितने खंड होते है.
(२ ) जोयण-जम्बुद्विपका जोजन परिमाणे कितना खंड होता है.
(३) वासा-जम्बुद्विपमें मनुष्य रेहनेका कितना वासा है.