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५-६-७-८ देवलोक मोर नौग्रीवैग है यह पूर्णचन्द्र के श्राकार एक दुसराके उपरा उपर है च्यार अणुत्तर वैमान तीखुणा च्यार दिशामे है सर्वार्थसिद्ध वैमान गोलचंद्र संस्थान है.
[४] आधारद्वार-वैमान और पृथ्वीपंड रत्नमय है परन्तु वह किसके आधार है ? पेहला दुसरा देवलोक घणोदद्धि के आधार है तीजा चोथा पांचवा घण वायु के आधार है छटा सातवा आठवा देवलोक घणोदद्धि घण वायु के आधार है शेष वैमान यावत् सर्वार्थसिद्ध वैमनतक केवल आकाश के ही आधार है.
(५) पृथ्वीपण्ड (६) वैमानकाउचा (७) वैमान और परतर (८) वर्ण. वमान पृॉपण्ड
२७०० जो | ५०० जो ३२ लक्ष | ५ वर्ण | १३ २७०० २६००,
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