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[३१] उत्पन्न-हे भगवान् सर्व प्राणभूत जीव सत्व जोतीषी देवों पणे पूर्व उत्पन्न हूवा ? हे गौतम एकवार नहीं । किन्तु अनन्ती अनन्ती वार जोतीषी देवो पण उत्पन्न हूवा है परन्तु देव होना पर भी जीवकों आत्मीक सुख नही मीला श्रात्मीक सुख के दाता एक वीतराग है वास्ते उन्होंकी प्रा. ज्ञाका पाराद्धि बनना चाहिये इति.
सेवभंते सेवंभंते तमेव सच्चम् .
थोकडा नम्बर ६. बहूतसूत्रसे संग्रहकर.
(वैमानिकदेवोंका द्वार २७ ) १ नामद्वार १० इन्द्रनाम द्वार | १६ देवीद्वार २ वासाद्वार. ११ इन्द्रवैमान , | २० वैक्रयद्वार ३ संस्थानद्वार १२ चन्हद्वार ,, | २१ अवधिद्वार ४ आधारद्वार ३ सामानीक ,, २२ परिचारणा ५ पृथ्वीपण्ड०१४ लोकपाल , | २३ पुन्यद्वार ६ वैमान उचपणो १५ तावत्रिसका ,, २४ सिद्धद्वार ७ वैमान संख्या १६ आत्मरक्षक , | २५ भवद्वार - वैमान विस्तार १७ अनिकाद्वार | २६ उत्पन्नद्वार है वैमान वर्णद्वार १८ परिषदाद्वार | २७ अल्पावहूत्व ,,