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है सूर्यके मुकटपर ब्यमांडलका चन्ह है एवं ननत्र ग्रह तार उन्ही चन्द्रद्वारा वह देवता पेच्छाना जाता है.
(८) मानका पहलपणा (6) वैमानका जाडपणापक्र जोजनका ६१ भाग किंजे उन्हींग ५६ भाग चन्द्रका वैमान पहला है और २८ भाग जाडा है भूर्यका वैमान 3८ भागका पहला २४ भागका जाडा है । ग्रहका बैमान दो गाउका पहला एक गाउका जाडा है । नक्षत्रका बैमान एक गाउका पहला आदा गाउका जाडा है। ताराका वैमान आदा गाउका पहला पाव गाउका जाडा है सब स्फकट रत्नमय वैमान है.
(१०) वैमानवहान-यद्यपि जोतीषीयोंके वैमान आकाशके आधारसें रहेते है अर्थात् वैमानके पौद्गलोंके अगुरुलघु पर्याय है वह आकाशके आधारसे रहे शक्ते है । तद्यपि देव अपने मालकका बहुमानके लिये उन्ही वैमानोंको हमेशोंके लिये उठाये फीरते है कारन अढाइद्वीपके अन्दरके देवोंकि स्वभावप्रकृति गमन करनेकि है। चन्द्र सूर्यके वैमानकों शोला शोला हजार देव उठाते है जिस्में च्यार हजार पूर्व दिशाकी तर्फ मुह कीये हुवे सिंहके रूप, च्यार हजार दक्षिण दिशा मुह कीये हवे हस्तिके रूप, च्यार हजार पश्चिम दिशामें मुह कीये हवे वृषभके रूप, च्यार हजार उत्तर दिशामें मुह कीये हुवे अचके रूप एवं ग्रहवैमानकों ८००० देव उठाते है नक्षत्रके वैमानकों