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श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला पुष्प नं. ४८.
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श्री रत्नप्रभसूरी सद्गुरुभ्यो नमः
अथ श्री
शीघ्रबोध या थोकमाप्रबंध.
भाग १३ वा.
थोकडा नम्बर १.
बहुश्रुती कृत १४ राज. जहाँपर पांचास्तिकाय है उन्हीको लोक कहा जाते है वह लोक असंख्याते कोडनकोड योजनके विस्तारवाला है उन्हींका परिमाणके लिये राजसंज्ञा दी गइ है. वह राज भी अमंग्य कोडोनकोड जोजनका है उन्ही राजका परिमाणसे १४ राज परिमाण लोक कह जाते है, वह उर्ध्व-अधोलोककि अपेक्षा है, परन्तु कितना उध्व वा अधोजानेपर कितने विस्तार आता है. वह सब इन्ही थोकडे द्वारा कहेगे ।