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(७ ) 'थोकडा नं. १३५ श्री पनवणा सूत्र पद ३, छे कायकी अल्प (१) (१) त्रसकाय सबसे स्तोक (२) तेउकाय असं० गु० (३) पृथ्वी काय वि० (४) अप्पकाय वि० (५) वायुकाय वि० (६) अकाय अनं० गु० (७) वनस्पति अनं० गु० (८) सकाय वि०
(२) (१) त्रसकायश्चपर्याप्ता सबसेस्तोक (२) तेउकाय अप० असं० गु० (३) पृथ्वीकाय अप० वि० (४) अप्पकाय अप० वि० (५) वायुकाय अप० वि० (६) वनस्पतिकाय अप० अनं० गुणा (७) सकाय अप० वि०
(३) (१) त्रसकाय पर्याप्ता सबसे स्तोक (२) नेउकाय पर्या० असं० (३) पृथ्वीकाय पर्या० वि० (४) अप्पकाय पर्या० वि० (५) वायुकाय पर्या० वि० (६) वनस्पतिकाय पर्या. भनं० (७) सकाय पर्या० वि०
(४) (१). सकाय अपर्याप्ता सबसे स्तोक (२) सकाय पर्याप्ता संख्यातगुणा एवं पृथ्वी, अप्प, तेज, वाऊ, वनस्पति भी कहना।
(५) (१) सबसे स्तोक त्रसकाय पर्याप्ता (२) त्रसकाय अपर्याप्ता असं० गु०
(६) (१) सबसेस्तोक त्रसकाय पर्याप्ता (२) त्रसकाय अपर्या० सं० गु० (३) तेऊकाय अपर्या० असं० गु० (४) पृथ्वीकाय. अपर्या० वि० (५) अपकाय अपर्या० वि० (६) पायुकाय अपर्या० वि० (७) तेऊकाय पर्या० सं० गु० (८) पृथ्वी