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[७] (३) तेनस , , . (४) वैक्रिय , सं० (५) मर्णातिक ,, ,, असं (९) वेदनी ,, , असं (७) कषाय , , सं० (८) असमोईया , सं.
सेव भंते सेवं भते तमेव सचम् ।
थोकडा नंबर १८ श्री पनवणाजी सूत्र पद ३३
(कषाय समुद्घात) कषाय समुद्घात चार प्रकारकी है यथा(१) क्रोध-पति कोषके उत्पन्न होनेसे (२) मान-अति मानके " " (१) माया अति मायाके . , , (४) लोम-अति लोभके , ,
नरकादि २४ दंडकमें कषाय समु० चारोंपावे इसका काल अन्तर मुहूर्तका है।
(१) एकेक जीवकी अपेक्षा २४ दंडकमें
एकेक नारकी क्रोध समुं० भूतकालमें मनन्ती करी है भविष्य कालमें कोई करेगा कोई न करेगा जो करेगा वह १-१-२ यावत संख्याती, असंख्याती, अनन्ती करेगा एव