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(६) घणा जीव आपसमें ।
घणा नारकी घणा नारकी पने वेदनी समु० भूतकालमें अनन्त करी और भविष्य में अनन्ती करेगा एवं २४ दंडक पने भी समझना शेष २३ दंडक भी नारकीवत समझना ।
जैसे वेदनी समृ० २४ दंडक पर कहा है इसी तरह कषाय, पर्णान्तिक, वैक्रिय, तेजस समु० भी समझ लेना परन्तु वैकिय समु० में १७ दंडक और तेजस समु० में १५ दंडक कहना ।
घणा नारकी मनुष्य वर्ग के शेष २३ दंडक पने आहारिक समृ० न करी और न करेगा । मनुष्य पने भूतकालमें असंख्याती भविष्य में भी असंख्याती करेगा । एवं वनस्पति वर्जके शेष २३ दंडक समझना वनस्पतिमें अनन्ती कहना |
एकेक मनुष्य २३ दंडक पने आहारिक समृ० न करी न करेगा और मनुष्य पने भूतकालमें स्यात् संख्याती स्यात् असंख्याती और भविष्य में भी स्यात् संख्याती स्यात् असंख्याती कहना । नरकादि २३ दंडक जीव नरकादि २३ दंडकपने केवली समु० न करी न करेगा मनुष्यपने नहीं करी अगर करेगा तो स्यात संख्याती स्यात असंख्याती ।
घणा मनुष्य २३ दंडकपने केवली समु० न करी न करेगा और मनुष्यपने करी हो तो स्यात् संख्याती असंख्याति और भवि
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ष्यमें भी करेगा तो स्यात् संख्याती असंख्याती करेगा ।
(७) अल्पा बहुत्व- द्वार (१) समुचय अल्पा०
(१) सवसे स्तोक आहारिक समु० का घणी