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यथा चक्षूदर्शन अवधिदर्शन, केवलदर्शन ये दोनों उपयोग नरका दि दंडक पर उतारा जायेगा ।
दंडक
समुचय जीव १ नारकी ७ १३ देवता
५ पांच स्थावर
२ बेंद्रिय तेन्द्रिय १ चौरेंद्रिय
१ तिर्यच पाचेन्द्रिय
१ मनुष्य
उपयोग
साकार अनाकार पासणिया पासणिया
४
१
४
६
००
( प्र ) केवली है सो इस रत्नप्रभा नरकको आकार हेतू ओपमा द्राष्टांत वर्ण संस्थान परिमाण-करके जिस समयमें जानते हैं उसी समय देखते हैं या नही !
( उ ) केवली जिस समय रत्नप्रभा नारकीको पूर्वोक्त आकारसे जानते है उसी समय नहीं देखे ।
( प्र ) क्या कारण है !
( उ ) जो केवलियोंके साकार उपयोग है वह ज्ञान है और नाकार उपयोग है वह दर्शन है इस वास्ते निस समय में जानते हैं उस समय न देखे और जिस समय में देखते हैं उस समय