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जीव और १४ दंडक एक वचन पूर्व क्त् बहू वचनापेक्षा तीन तीन मांगा १५ । एवं ५४-१५३-४८-१-१७१-१९ भांगा ४७४ द्वारम् । ... (९) योगबार-सयोगि समु० जीव और २४ का मिथ्यात्वी वत् १७ एवं काययोगिका भी ५७ । वचनयोति समु० जीव और १९ दंडक और मनयोगमें समु० जीव की १६ दंडक एक या बहू वचनाहारीक है। अयोगि समु० जी मनुष्य और सिद्ध भलेश्या कि माफीक कल भांगा ११४ द्वारम् ।
. उपयोगबार-साकर और मनाकार दोनों समु० जीव और २४ दंडक एक वचनापेक्षा स्याताहारीक स्यातना हारीक बहू वचना पेक्षा समु. जीव पांच स्थावर आहारीक धणा अनाहारीक भी धणा शषे १९ दंडकये तीन तीन भांगा ६७.६७ कुल ११४ मांगा और सिद्ध भगवान् एक या बहू वचन आना हारी है इति द्वारम् ।
(११) वेदवार-वेद समु० जीव और २३ दंडक सयोगि माफीक भांगा १७ । त्रिवेदमें समु० जीव दंडक १५ एवं पुरुष वेद एक वचन पूर्व वत् बहू वचन जीवादि सीन तीन भांगा ४८--४८ नपुंसक वेदमें समु० जीव ११ दंडक एक वचन पूर्ववत बहू वचन समु० जीव पांच स्थावरमें आहारीक घणा अनाहारीक घणा छे दंडकये तीन तीन मांगा १८ भवेदी जेसे अकषायक्त भांगा ३ एवं ९७-९६-१८-३ कुल मांगा १७४ हवे इति द्वारम् । ..
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