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(६) नि (७) कामाय २) योरः (१- उपयोग ११) ३ १२, शरीर १३, पीती इति.
समुच्चय नीव तथा और निज सायान् ः २६ बोलने सत्यमापन और बहन को मोल मालारक प्रत्येक कालपर उतारे भावर परन्तु जि. बोल में जो एंडक पावेगा उन्हीको ही गृहन किया जायेगा.
( जीवहार-एक जीव कशा आहारीक है या अनाह. रोक है ? म्यात आहारीक है म्यात अनाहारीक है कारण यहांपर समुचय जीवका प्रश्न होलसे स्यात शब्द रखा गया है क्योंकि परभवगमन करते समय या चौदवा गुणस्थान या सिद्धोंके जीवानाहारीक है शेषाआहारीक है.
एवं २४ दंडक भी समझना तथा सिद्ध भगवान् अनाहारी है । समुच्चय घणा जीव आहारीक भी घणा अनाहारीक भी घणा घणासिद्ध अनाहारीक है धणा नारकीके जीवों के उत्तरमे तीन भांगा होते है यथा (१) घणा नारकी मे न्याहारीक जीवों सदाकाल शास्वता है (२) अहारीक नारकी घणा ओर अनाहारीक एक जीव भीले (३) आहारीक नारकी घणा और अनाहारीक भी घणा एवं पांच स्थाबर वर्जके १२ इंडकमें तीन तीन भांगा कर नेसे ५७ भाणा हवे पांच स्थाबरोंके बहू, वचनमें आहारीक भी घणा अनाहारीक भो षणा इतिद्वारम् भांगा २७.
(२) भव्व-समुच्चय एक भव्य जीव और २४ दंडकोंके एकेक जीव, स्यात् आहारीक स्यात अनाहारीक । बहू वचन समुच्चय