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(२) असत्यमनयोग, (३) मिश्रमनयोग, (४) व्यवहारमनयोग, (५) सत्यवचनयोग, (६) असत्यबचनयोग, (७) मिश्रषचनयोग, (८) व्यवहारबचनयोग, (8) औदारिककाययोग, (१०)
औदारिकमिश्रकाययोग, (११) वैक्रियकाययोग, (१२) के क्रियमिश्रकाययोग, (१३) आहारिककाययोग, (१४) आहा. रिकमिश्रकाययोग, (१५) कारमणकाययोग, इन्हीं (१९) प्रयोगोंको २४ दंडक पर उतारेंगे।
समुचय जीवमें प्रयोग १५ पावे.
नारकी और देवताओं में प्रयोग पावे ११ ( ४ ) मनके (४) बचनके (१) वैक्रियकाययोंग (१) वैक्रियमिश्रकाययोग (१) कारमणकाययोग । एवं ११.
पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय, वनस्पति, बीन्द्रिय, तीन्द्रिय, चौन्द्रिय, इन ७ बोलोंमें प्रयोग (३) पावे. औदारिकका. ययोग, औदारिकमिश्नकाययोग, कारमाणकाययोग परन्तु तीन वैकलेंद्रि व्यवहार भाषाधिक होनासे (४) योग । वायुकायमें प्रयोग पावे ५ (३) पूर्वोक्त वैक्रिय और वैक्रियमिश्रकाययोग एवं पांच तथा नियंच पांचंद्रियमे प्रयोग १३ पावे. आहारिककाययोग, आहारिकमिश्रकाययोग दो वर्जके; और मनष्यमें १५ प्रयोग पावे.
किस दंडकमें कितने प्रयोग शाश्वते हैं ?
समुचय जीवोमें प्रयोग १५ हैं जिसमें १३ शाश्वते मिलते हैं और माहारिककाययोग तथा माहारिकमिभकाययोग ये दोनो
१५
कितने प्रयोग शाम
शाश्वते मिलते