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...सादिसान्त.प्रथम गुणस्थान त्यागसे मानाक सादि है और ग्यारवे गुणस्थानादिसे पुन: प्रथम गुणस्थान जाना ज्ञानका अन्त है। मतिज्ञान श्रुतिज्ञान कि स्थिति जघन्य अन्तरमुहुर्त उ० छासट (६६) सागरोपम साधिक एवं अवधिज्ञान परन्तु जघन्य एक समयका कालभी है. मन:पर्यव झाम. ज. एक समय. उ० देशोनपूर्वकोड. केवलज्ञानकि स्थिति नही है किन्तु सादि अनन्त है. मतिअज्ञान श्रुति अज्ञानके तीन मेद है अनादि अनन्त. अभव्यापेक्षा, अनादि सान्त, भव्यापेक्षा सादिसान्तकि स्थिति ज० अन्तरमहुर्त उ० देशोन अर्धपुद्गल. विभंगहान, ज. एक समय उ० तेतीस सागरोपम देशोन पूर्व कोड अधिक।
अन्तरद्वार-सज्ञानी मतिज्ञानी श्रुतिज्ञानी अवधिज्ञानी मनापर्यवज्ञानीका अन्तर पडे तो ज० अन्तर मुहुर्त उ० देशोन .बाबागल. केवलज्ञानका अन्तर नहीं है मतिअज्ञान श्रुतिअज्ञान
सादी सान्तका अन्तर न० अन्तर मुहूर्त उ० छासट सागरोपम साधिक. विभंगज्ञानका अन्तर ज० एक समय उ. अनंतकाल यावत् देशोन आधापूदगलपरावर्तन । ... अल्पाबहुत्ववार-सर्व स्तोक मनःपर्यवज्ञानी. अवधिज्ञानी असंख्यातगुणे, मतिज्ञानी श्रुतिज्ञानी आपसमे तूल्य और विशेषाधिक. केवलज्ञानी अनंतगुण सज्ञानीविशेषाधिक सर्वस्तोक वि. अंगझानी, मतिअज्ञानी श्रुतिअज्ञानी आपसमे तुल्य अनंतगुण समुख्यअनानि विशेषाधिक। ... .ज्ञानपर्यषकि अल्पाबहुत्व सर्वस्तोक मनःपर्यष ज्ञानके पर्यव
अवविज्ञान के पर्यव अनंतगुणे. श्रुतिज्ञानके पर्यव अनन्त गुणे मतिजानके पर्यव अनंतगुणे, केवलज्ञानके पर्यव अनंतगुणे ॥ सर्वस्तोक विमंगवानके पर्यव. श्रुतिअज्ञानके पर्यव अनंतगुणे मतिज्ञानके पर्यव