________________
क्षेत्र है कारण सूची अग्रभागमे जो आकाश प्रदेश है उसे प्रत्येक समय एकेक प्रदेश निकाले तो असंख्यात सर्पिणी उत्सर्पिणी पुरी होजावे, क्षेत्रसे द्रव्य सूक्षम है कारण एक प्रदेशके क्षेत्रमे अनंते द्रव्य है द्रव्यसे भाव सूक्षम है कारण एक द्रव्यमे अनंत पर्याय है. _हयमान अवधिज्ञान-उत्पन्न होने के बाद अविशुद्ध अध्यक्ष साय अप्रशस्त लेश्या खराब परिणाम होनेसे प्रतिदिन ज्ञान भ्युनता होता जावे.
प्रतिपात्ति अवधिज्ञान होनेके बाद कीसी कारणोंसे वह पीच्छा भी चला जाता है वह ज्ञान कितने विस्तारवाला होता है वह बतलाते है यथा. आंगुलके असंख्यातमें भागका क्षेत्र को जाने. संख्यातमे भागके क्षेत्रको जाने. एवं बालाग्र, प्रत्येक बालाग्र, लीख, प्रत्येकलिख, जू प्रजू अँप प्रज्जव, अंगुल प्र०आंगुल, पाद प्र० पाद, बेहाथ प्र०वेहाथ, कुत्सि प्र०कुत्सि, धनुष्य प्र०धनुष्य, गाउप्र० गाउ, योजन प्रयोजन, सोयोजन प्र०सोयोजन, सहस्रयोजन प्र० सहनयोजन, लक्षयोजन प्र०लक्षयोजन, कोडयोजन प्र०कोडयोजन, कोडाकोडयोजन प्र०कोडाकोडयोजन. संख्यातेयोजन, असं. ख्याते योजन उत्कृष्ट सम्पूर्ण लोकके पदार्थको जानके पीच्छ पडे अर्थात् वह ज्ञान पीच्छा चला जावे. उसे प्रतिपाति अवधिज्ञान कहा जाता है।
- अप्रतिपाति अवधिज्ञान उत्पन्न होने के बाद कबी न जावे परंतु अन्तर महुर्त के अन्दर केवलज्ञान प्राप्त कर लेता है इन छे भेदों
के सिवाय प्रक्षापना पद ३३ में और भी भेद लिखा हुवा है वह .. अलग थोकडा रूपमें प्रकाशित है। . भवधिज्ञान के संक्षिप्तसे च्यार भेद है द्रव्य क्षेत्र काल भाव.
(१) द्रव्यसे अवधिज्ञान जघन्य अनंते रूपी द्रव्योंकों जाने. उता मी अनते द्रव्य जाने. कारण अनंते के अनंते भेद है.
and%AR