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________________ २६६ पहलासे तीसरा गु० अज्ञानवादी समौसरणमें । चोथो , नारकी देवतोंमे पाये। पांचवो , तीर्यच जीवोमे पाये। छठ्ठो , प्रमादी जीवोंमे पाये। सातवां , पावे तेजोलेशी नीवोमें। आठवां , , छेहास्यादीमे पावे । नौवां , , सवेदी नीवोंमें । दशवां ., सकषायि जीवोंमें। इग्यारवां , , मोहकर्मकी सत्तामें । बारवां , , छमस्थ जीवों में । तेरहवां , ,, संयोगी जीवोमें। चौदहवां ,, ,, सर्व संसारी जीवोंमें। पहला और चौदहवां गु० पावे गुणस्थानों के चरमान्तमें। तेरहवां गु० । संयोगी गु० के घरमान्तमे। ,, बारहवो , छद्मस्थ गु० के चरमान्तमें । इग्यारवां , मोहकर्मकी सात गु० के चमान्तमें । दशवो , सकषायि गु० के नौवा , सवेदी , , आठवो , छेहास्यादि , , सातवो , तेजोलेशी ,, ,, छठ्ठो , प्रमादी " , पांचवो ,, तीर्यचके , ,, चोथो , देवगुणस्थानके गु० के , तीसरो , मिथ्यात्वकी क्रियावालोमें। तीसरो गु० ? एकान्त भव्य क्रियावादी समौ० में । " , चौथो , अव्रती सम्यक् दृष्टिमें। ,, , पांचवो ,, , , तीर्यच गु० चरमाम्तमें। , , छछो , , , प्रमादि गु.
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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