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________________ २२६ त्रिक संयोगी भांगा १० १ उदय-उपशम क्षायिक । ६ उदय-क्षयोपशम-परिणामिक २ उदय-उपशम-क्षयोपशम । ७ उपशम-क्षायिक-क्षयोपशम ३ उदय-उपशम-परिणामिक ८ उपशम-क्षायिक-परिणामिक ४ उदय-क्षायिक-क्षयोपशम | ९ उपशम-क्षयोपशम-परिणामिक ५ उदय-क्षायिक-परिणामिक १० क्षायिक-क्षयोपशम-परिणामिक चतुष्क संयोगी भांगा ५ १ उदय-उपशम-क्षायिक-क्षयोपशम २ उदय-उपशम-क्षायिक-परिणामिक ३ उदय-उपशम-क्षयोपशम-परिणामिक ४ उदय-क्षायिक-क्षयोपशम-परिणामिक ५ उपशम-क्षायिक-क्षयोपशम-परिणामिक पञ्च संयोगी भांगा? (१) उदय, उपशम, क्षायिक, क्षयोपशम, परिणामिक, एवम् भांगा २६ है जिसमें भांगा बीस तो सून्य केवल प्ररूपणा मात्र है शेष भांगा ६ के स्वामी नीचे लिखते हैं ( १ ) बीक संयोगी भांगो नवमो सिद्धोंमें मिले क्षायिक परिणामिक, कारण परिणामिक जीव और क्षायिक समकित । - (२) त्रिक संयोगी भांगी पांचमो “ उदय क्षायिक परिणामिक" मनुष्य केवलीमें उदय मनुष्य गतिको क्षायिक समकित परिणामिक जीव । (३) त्रिक संयोगी भांगो छट्ठो " उदय क्षयोपशम परिणामिक" उदय गतिको क्षयोपशम इन्द्रियोंका परिणामिक जीव चारों गतिमे पावे।
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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