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श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला पुष्प नं ३९.
अथश्री शीघ्रबोध भाग हवा.
थोकडा नम्बर १०५
(गुणस्थानपर ५२ द्वार ) [१] नामद्वार [२] लक्षणद्वार [३] क्रियाद्वार [४] बन्धद्वार [५] उदय० [६] उदिर्णा० [७] सत्ता० [८] निर्जरा० [९] आत्मा० [१०] कारण० [११] भाव० [१२] परिसह [१३] अमर० [ १४. पर्याप्ता० [१५ ] आहारिक० [१६] संज्ञा० {१७] शरीर० [१८] संघयण [१९] संस्थान [२०] वेद० [२१] कषाय० [२२] सन्नी० [२३] समुदघात० [२४ ; गति [२५] जाति, [२६] काय० [२७] जीवके भेद० [२८] योग० {२९] उपयोग० [३२] लेश्या० [३१] दृष्टी० [३२] ज्ञान [३३ . दर्शन [३४ ] सम्यक्त्व० [३५ ] चारित्र० [३६ ] नियंट्ठा० [३७ ] समोवसरण [३८] ध्यान [३९] हेतु [४०] मार्गणा० [४१] जीवयोनी० [४२] दंडकर [४३] नियमा भजना [४४] द्रव्यप्रमाण [४५] क्षेत्रप्रमाण [४६ ] सान्तर निरन्तर [१७] स्थिति [४८ ] अन्तर० [४९] आगरेस० [५० ] अवगाहना० [५१ ] स्पर्शना० [५२ ] अल्पाबहुत्व०
[१] नामद्वार-[१] मिथ्यात्व गुणस्थानक [२] सास्थाइन० [३] मिथ० [४] अबतिसम्यक्त्वदृष्टि० [५] देशव्रती० [६] प्रमत्तसंयतः [७] अप्रमत्तसंयत० [८] निवृत्तीबादर० [९]