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१०८ अभव्यजीवोमें १०९ नोभव्य नो अभव्यमें ११० चरमजीवोमें १११/ अचरमजीवों में १९२ गर्भज जीवोंमें १९३/ नोगर्भज जीवोंमे १९४/ भरतक्षेत्रके जीवोंमे ११५/ महा विदेहक्षेत्रमें ११६, जंबुद्विपक्षेत्रमें ११७ लवणसमुद्रमें ११८ धातकी खंडमें ११९ पुष्कराई द्विपमें १२०/ अढाइद्विपमें १२१ असंख्यातविप समुद्रमें १२२ कीसी स्थानकि पोलारमे १२३ लोकरे चर्मान्तमे १२४ सिद्धक्षेत्रमें १२५ श्रीसिद्ध भगवानमें
॥ सेवं भंते से भंते तमेष सबम् ।।
है
इति श्री शीघ्रबोध भाग ७ वां समाप्तम्.