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पैंतीस बोल.
(१७) स्पर्श कुच्छभी नही है गुणसे स्थिर गुण है जैसे थाका हुवा मु. साफरकों वृक्षकी छायाका दृष्टान्त ।
(३) आकाशास्तिकाय-पांच बोलोंसे जानी जाति है द्रव्यसे आकाशास्तिकाय एक द्रव्य है क्षेत्रसे लोकालोक परिमाण है कालसे आदि अंत रहीत है भावसे वर्ण गन्ध रस स्पर्श रहोत है गुणसे आकाशमें विकाशका गुण है जेसे भीतमें खुंटी तथा पाणीमें पत्तासाका दृष्टान्त है।
४) जीवास्तिकाय-पांच बोलोंसे जानी जाती है द्र. ग्य से जीव अनंते द्रव्य है क्षेत्रसे लोक परिमाण है. कालसे आदिअंत रहीत है भावसे वर्ण गन्ध रस स्पर्श रहीत है गुणसे जी. बका उपयोग गुण है जैसे चन्द्र के कलाका दृष्टांत..
(५) पुद्गलास्तिकाय-पांच बोलोंसे जानी जाती है. द्रव्यसे पुद्गलद्रव्य अनंत है क्षेत्रसे संपूर्ण लोक परिमाण है. कालसे आदि अन्त रहीत है भावसे रूपी है वर्ण है गन्ध है रस है स्पर्श है गुणसे सडन पडन विध्वंस गुण है । जेसे बादलोंका दृष्टान्त ।
(६) कालद्रव्य-पांच बोलोंसे जाने जाते है. द्रव्यसे अनंते द्रव्य-कारण अनंते जीव पुद्गलोंकि स्थितिको पुर्ण कर रहा है । क्षेत्रसें कालद्रव्य अढाइ द्वीप में है ( कारण बाहारके चन्द्र सूर्य स्थिर है ) कालसे आदि अंत रहीत है भावसे वर्ण गन्ध रस स्पर्श रहीत है गुणसे नइ वस्तुको पुराणी करे पुराणी वस्तुको क्षय करे. कपडा कतरणीका दृष्टांत ।
(२१) राशीदोय-यथा जीवराशी जिस्के ५६३ भेद । अजीवराशी जिस्के५६० भेद है देखो दुसरे भाग नवतत्वके अन्दर
(२२) श्रावकजी के बारहाव्रत. (१) प्रस जीव हालता चालताको विगर अपराधे मारे नही। स्थावरजीवोंकि मर्यादा