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शीवबोध भाग १ लो.
(४) इन्द्रिय पांच-श्रोत्रेन्द्रिय, चक्षुइन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, रसेन्द्रिय और स्पशेन्द्रिय ।
(५) पर्याप्ति ले-आहार पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति, इन्द्रि. यपर्याप्ति, श्वासोश्वास पर्याप्ति, माषा पर्याप्ति, और मनःपर्याप्ति.
(६) प्राणदश-श्रोत्रेन्द्रिय बलप्राण, चक्षुइन्द्रिय बलप्राण, घ्राणेन्द्रिय बलप्राण, रसेन्द्रिय बलप्राण, स्पर्शेन्द्रिय बलप्राण, मनबलप्राण, वचन बलप्राण, काय बलप्राण, श्वासोश्वास बलप्राण आयुष्य बलप्राण.
(७) शरीर पांच-औदारिक शरीर, घेक्रिय शरीर, आहारीक शरीर, तेजस शरीर, कारमाण शरीर।
(८) योग पंदरा-च्यार मनके, च्यार वचनके, सात कायके, यथा-सत्यमनयोग, असत्यमनयोग, मिश्रमनयोग, व्यवहार भनयोग, सत्यभाषा, असत्यभाषा, मिश्रभाषा, व्यवहार भाषा, औदारीक काययोग, औदारीक मिश्र काययोग, वैक्रियकाययोग, धैक्रिय मिश्रकाययोग. आहारक काययोग, आहारक मिश्र काययोग, और कार्मण काययोग ।
(6) उपयोग बारहा-पांच ज्ञान, तीन अज्ञान, च्यार दर्शन: यथा-मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यवज्ञान, केवलज्ञान, मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, विभंगज्ञान, चक्षुदर्शन, अ. चक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, केवलदर्शन.
(१०) कर्म आठ-ज्ञानावर्णीय ( जैसे घाणीका बेल) दर्शनाधर्णिय ( जैसे राजाका पोलीया ) वेदनीय कर्म (जैसे मधुलिप्त छुरी ) मोहनीय कर्म (मदिरा पान कोये हुवे मनुष्य)