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इर्यावहिबन्ध.
(३५१) - (पहिला) भांगा उपशम श्रेणी वाले जीव में मिले. जैसे उपशम श्रेणी १ भवमें १ जीव जघन्य एक वार और उत्कृष्ट २ वार करता हे कीइ जीव १ वार उपशम श्रेणी करके पीछा गीरा तो पहिले उपशम श्रेणी करीथी इसलिये इर्यावही कर्म वांधा था और वर्त. मानकाल में दवारा उपशमश्रेणी वरतता है इसलिये इर्यावही कर्म बांध रहा है. और उपशम श्रेणीवाला अवश्य पीछा गिरेगा. परन्तु फिरभी नियमा मोक्ष जानेवाला है इस वास्ते भविष्य में इर्यावही कर्म बांधेगा.
(दुसराभांगा पहिले उपशम श्रेणी की थी तव इर्यावही कर्म बांधा था. वर्तमान में क्षपक श्रेणी पर वरतता है इसलिये बांधता है आगे मोक्ष चला जायगा इस वास्ते न बांधेगा.
(तीसरा भांगा पहिले उपशम श्रेणी करके बांधा था वर्त मानमें नीचे के गुणस्थानक पर वर्तता है इसलिये नहीं बांधता और मोक्षगामी है इसलिये भविष्य में बांधेगा.
( चोथा ) भांगा चौदमा गुणस्थानक या सिद्धों के जीवों
(पांचमां ) भांगा भूतकाल में उपशम श्रेणि नहीं की इसलिये नहीं वांधा था वर्तमान में उपशम श्रेणी पर है इसलिये बांधता है भविष्य में मोक्षगामी है इसलिये बांधेगा। . (छठा ) भांगा प्रथम हो क्षपक श्रेणी करने वाला भूतकाल में न बांधा था, वर्तमान में बांधे है भविष्यमें मोक्ष जावेगा वास्ते न बांधेगा।
( सातमा) भांगा भूतकाल और वर्तमानमें उपशम श्रेणी या क्षपक श्रेणी नहीं की इसलिये नहीं बांधां और नहीं बांधता है परन्तु भव्य है इसलिये नियमा मोक्ष जायगा तब बांधेगा। . ( आठमा ) भांगा अभव्य प्रथमगुणस्थानकवर्गों में मिलता