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________________ कर्मवेदतों बान्धे ७-८-२ । ६ । अबाध : ७-८-१। .. ३(घणा) १. ३ (३४३ ) ६ । अबांध १ . १ .ww ३ एवं भांगा ९ . नारकी का जीव वेदनीय कर्म वेदता ७-८ कर्म बांधे जिसमें का सास्वते और ८ कर्म बांधने वाले असास्वते जिसका भांगा ३। (१) सात का घणा ( २ सात का घणा आठको एक (३) सोत का घणा और आठ कर्म बांधने वाले भी घणा । एवं एकेन्द्री का ५ दंडक और मनुष्य वर्ज के १८ दंडक में समजना मांगा ५४ । एकेन्द्रियमें मांगा नहीं है। चा मनुष्य वेदनोय कर्म वेदता ७-८-६-१-० ( अबांध ) जिसमें ७-१ कर्म वांधने वाले सास्वते और ८-६- का असास्वते जिसका भांगा २७ । ७-१। ८। ६ ० (८)३ .१ . (१) ३ (घणा) . . . (९) ३ . १ ३ . (२) ३, १ ८ (१०)३ ., ३ १ . ما سه م • • • • • w سه . . .. .w..wwww ० (५) ३ ., (६) ३, ३ . . ३ . . ० १ (१३) ३ (१४) ३ , , ३ . १ .
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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