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________________ ( ३३२ ) शीघ्रबोध भाग ५ वा. न्यबन्ध १२ मुहुर्त और शेष पाँच प्रकृतियोंका जघन्यं स्थितिबन्ध १ सागरोपमका सातिया १ || भाग प० अ० उंणी. उत्कृष्ट छ प्रकृतिका बन्ध १५ कोडाकोडी सागरोपम और अबाधाकाल १५ सो वर्षका है. एकेन्द्री यावत् असंज्ञी पंचेन्द्री पूर्ववत् १-२५-५० १००-२००० सा० और संज्ञी पंचेन्द्री शातावेदनीय जघन्य १२ मुहुर्त शेष पांच प्रकृति जघन्य अंतः कोडाकांडी साग० को बांधे. उत्कष्ट बंध समुच्चयवत् ? | बेइन्द्रिय १ तेइन्द्रिय २ चौरिन्द्रिय ३ सूक्ष्म ४ साधारण ५ अपर्याप्ता ६ कीलिकासंहनन ७ और कुब्जसंस्थान ८ ये आठ प्रकृतिका समुच्चय जीव जघन्य १ सागरोपमका पैतीसीया ९ भाग पल्योपमके असंख्यात में भाग उणी. और उत्कृष्ट १८ कोडाकोडी सागरोपमकी बांधे. अबाधाकाल १८०० वर्षका । एकेन्द्री यावत् असंज्ञी पंचेन्द्री पूर्ववत् १-२५-५० १०० १००० सागरोप प० संज्ञी पंचेन्द्री जघन्य अंतः कोडाकोडी सागरोपम उत्कृष्ट समुच्चयवत्. न्यबन्ध १२ मुहूर्त्त और शेष पांच प्रकृतियोंका जघन्य स्थितिबन्ध १ सागरोपमका सातिया || भाग प० अ० उंणी. उत्कृष्ट छ 1 आहारक शरीर १ तस्य बंधन २ अंगोपांग ३ संघातन ४ और जिननाम ५ ये पांच प्रकृति समुच्चय बांधे तो, जघन्य अंतरमुहुर्त उत्कृष्ट अंतः कोडाकोडी सागरोपम, एवम् संज्ञी पंचेन्द्री || मिथ्याव मोहनी समुच्चयजीव बांधे तो, जघन्य बंध १ सागरोपम उत्कृष्ट ७० कोडाकोडी सागः अ० काल ७ हजार वर्ष. केन्द्री यावत् पचेन्द्री पूर्ववत्. और संज्ञी पंचेन्द्री जघन्य अंतः कोडाकोडी सागरोपम. उत्कृष्ट समुच्चयवन्. ऋषभनाराच संहनन ९ न्यग्रोध संस्थान २ ये दो प्रकृति समुच्चय जीव बांधे तो, जघन्य १ सागरोपमका पैतीसिया ६ भाग पल्योपमके असंख्यातमें भाग ऊंणी. उत्कृष्ट १२ कोडाकोडी सागरोपमकी बांधे. अबाधाकाल १२०० वर्ष एकेन्द्री यावत् असंज्ञी
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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