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________________ समाचारी. ( २८९) क्रमशः पटावश्यक और साथमें इन्होंका + फल बताते है. षटावश्यकका नाम * यथाः-सावध जोगविरइ उक्ताणगुण पडिवति ॥ खलियस्स निंदवणा तिगिच्छगुण धारणाचेव ॥ १ ॥ तथा सामायिक चउवीसत्थो वन्दना प्रतिक्रमण काउस्सग पञ्चखाण. ( आवश्यकसूत्र ) (१) प्रथम सामायिकावश्यक इरियावहि पडिक्कमे देवसि प्रतिक्रमणठाउ जाव अतिचारका काउस्सग पारके एक नमस्कार कहे वहांतक प्रथम आवश्यक है दीनके अन्दर जीतना अतिचार लगा हो यह उपयोग संयुक्त काउस्सगमें चितवन करना इसका फल सावध योगोंसे निवृती होती है. कर्मानेका अभाव. (२) दुसरा चउवीसत्थावश्यक । इन अब सर्पिणिमें हो गये चोवीश तीर्थंकरोंकी स्तुति रूप लोगस्त कहेना-फल सम्यक्त्व निर्मल होता है. (३) तीसरावश्यक धन्दना--गुरु महाराजको द्वादशावृतनसे वन्दना करना, फल निच गौत्रका नास होता है और उच्च गौत्रकी प्राप्ती होती है. (४) चोथा प्रतिक्रमणावश्यक दिनके विषय लागा हवा अतिचार को उपयोग संयुक्त गुरु साखे पडिक्कमे सो देवसी अति. चारसे लगाके ओयरियोवज्झाया तीन गाथा तक चोथा आव. श्यक हे फल संयम रुपि जो नौका जिस्मे पडा हुवा छेद्रकों दे. - + फल उत्तराध्ययन सूत्र अध्ययन २९ मां बताया है। * सूत्र श्री अनुयोगद्वारमें।
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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