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शीघ्रबोध भाग ४ था. थोकडा नंबर ३८
श्री भगवती सूत्र श० ८ उद्देसा १०
आराधना. आराधना तीन प्रकारकी है. ज्ञान आराधना १, दर्शन आराधना २ और चारित्र आराधना.
ज्ञान आराधना तीन प्रकारको है उत्कृष्ट, मध्यम और जधन्य. उत्कृष्ट ज्ञान आराधना. चौदे पूर्वका ज्ञान या प्रबल ज्ञानका उद्यम करे. मध्यम आराधना. इग्यारे अंग या मध्यम ज्ञानका उद्यम करे, जघन्य आराधना, अष्ट प्रवचन माताका ज्ञान. व जघन्य ज्ञानका उद्यम
- दर्शन आराधनाके तीन भेद. उत्कृष्ट (क्षायक सम्यक्त्व) मध्यम (क्षयोपशम स० ) जघन्य (क्षयोपशम या सास्वादनस०)
चारित्र आराधनाके तीन भेद-उत्कृष्ट (यथाख्यात चारित्र मध्यम ( परिहार विशुद्धादि जघन्य ( सामायिक० )
उत्कृष्ट ज्ञान आराधनामें दर्शन आराधना कितनी पावै ? दो पावै. उत्कृत मध्य० ॥ उत्कृष्ट दर्शन आराधनामें ज्ञान आरा. धना कितनी पावै ? तीनो पावै. उत्कृष्ट, मध्यम और जघन्य.
उत्कृष्ट ज्ञान आराधनामें चारित्र आराधना कितनी पाये ? दो पावै. उत्कृष्ट और मध्यम । उत्कृष्ट चारित्र आराधनामें शान आराधना कितनी पावै ? तीनो पाव. उत्कृष्ट, मध्यम और जघन्य.
उत्कृष्ट दर्शन आराधनामें चारित्र आराधना कितनी पावै !