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________________ ३६ बोल. ( २६३ ) ( १८ ) कषाय ४ पहलेके ३ नियंठामें सकषाय संज्वलका चौक० कषायकुशीलमें. संज्वलका ४-३-२-१ निग्रंथ अकषायी उ पशमकषायी या क्षीणकषायी. स्नातक क्षीणकषायी होते है. द्वारं. ( १९ ) लेश्या ६ पुलाक, वकुश, पडिसेवणमें तीन लेश्या तेजु, पद्म, शुक्ललेश्या पावे. कषायकुशीलमें छेहो लेश्या पावे. निथमें शुक्ललेश्या पावे. और स्नातक शुक्ललेश्या तथा अलेश्या. द्वारं. ( २० ) परिणाम - पहिलेके चार नियंठामें तीनों परिणाम पावे. हियमान, वर्द्धमान, अवस्थित, जिसमें हियमान, वर्द्धमाaat जघन्य स्थिति १ समय उ० अन्तर्मुहुर्त अवस्थितकी ज० १ समय उ ७ समय, निग्रंथ में वर्द्धमान. अवस्थित दो परिणाम पावे. स्थिति ज० १ समय उ० अन्तर्मुहुर्त स्नातक में वर्द्धमान, अवस्थित दो परिणाम वर्द्धमानकी ज० समय उ० अन्तर्मुहुर्त. अवस्थितकी स्थिति ज० अन्तर्मुहुर्त उ० देशोणो पूर्व कोड. द्वारं. (२१) बंध -- पुलाक. आयुष्य छोडके सात कर्म बांधे. वकुश और पडिसेवण सात या आठ कर्म बांधे. कषायकुशील ७-८-६ कर्म बांधे. (आयुष्य मोहनी छोडके) निग्रंथ १ शातावेदनी बांधे और स्नातक १ शातावेदनी बांधे या अबंधक. द्वारं. ( २२ ) वेदे --पहलेके चार नियंठा आठों कर्म वेदे निग्रंथ मोहनी छोडके ७ कर्म वेदे स्नातक चार कर्म वेदे. ( वेदनी, आयुष्य, नाम, गोत्र. ) द्वारं. (२३) उदिरणा - पुलाक आयुष्य मोहनी छोडके ६ कर्मोंकी उदिरणा करे. वकुश और पडिसेवण ७-८ ६ कर्मोंकी उदिरणा करे. ( आयुष्य मोहनी छोडके ) कषायकुशील ७-८-६-५ कर्मोंकी उदिरणा करें. वेदनी विशेष निग्रंथ ५-२ कर्मोंकी उदिरणा करे. पूर्ववत् २ नाम, गोत्रकर्म. स्नातक उणोदरिक. द्वारं.
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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