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( २४६) शीघ्रबोध भाग ४ था. . भावसे हलका) सच्चे ( सत्य वोले०) संयमे (१७ प्रकार संयम पाले ) तवे (१२ प्रकारका तप करे ) चईए ( ग्लानिमुनिको आहार प्रमुख लादे ) बंभचेरे (ब्रह्मचर्य पाले)
(११) इग्यारा श्रावक प्रतिमा ( अभिग्रह विशेष । दर्शन प्रतिमा, व्रतप्रतिमा, आवश्यकप्रतिमा, पौषधप्रतिमा, एकरात्रीप्र. तिमा, ब्रह्मचर्यप्रतिमा, सचित्तप्रतिमा, आरंभप्रतिमा, सारंभ प्रतिमा, अट्ठिभूतप्रतिमा, श्रमणमूतप्रतिमा, विस्तारमें शीघ्रबोध भाग २० वा में.
(१२) बाराहों भिक्षुप्रतिमा. क्रमशः सातों प्रतिमा एकेक मासकि है, आठवी प्रथम सात रात्री, नौवी दुसरे सात रात्री, दशवी तीसरे सात रात्रीकी, इग्यारवी दो रात्रीकी, बारहवी एक रात्रीकि महाप्रतिमा इनका भी सविस्तर वर्णन शीघ्रबोध भाग २० पृष्ट में देखो।
(१३) तेरहा क्रिया. अर्थदंड क्रिया, अनर्थदंडक्रिया, हिंसादंड, अंकशमात्र, अजत्थदोषवत्तिया, पेजवत्तिया, मित्रदोपवत्तिया, मोसवत्तिया, अदत्तवत्तिया, मानवत्तिया, माया० लोभ० इर्यावहिक्रिया.
(१४) जीवके चौदे भेद -सूक्ष्मएकेन्द्री, बादरएकेन्द्री, बेइन्द्री, तेइंद्री, चौरेन्द्रि, असन्नीपंचेन्द्री, सन्नीपंचेन्द्री इन सातों का पर्याप्ता अपर्याप्ता गणने से चौदे भेद हुवे.
(१५) पनरह परमाधांमी देवता-आंग्रे, अनरसे, सांवे, सबले, रुद्धे, विरुद्धे, काले, महाकाले, असीपति. घणु, कुंभे, वालु वैतरणी, खरखरे, महाघोषे.
(१६) सुयगडांगसूत्रके प्रथम स्कंधका सोलह अध्ययनस्वसमय परसमय, वेताली, उपसर्गप्रज्ञा, श्रीप्रज्ञा, नरक० वीरस्थुई० कुसीलप्रवास. धर्मपन्नति वीर्य० समाधी० मोक्षमार्ग०