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उपादान निमत्त. (२२३ ) प्तिा के अलद्धिये असंख्यात गुणे (८) पर्याप्ता के अल. द्धिये विशेष. (९) पर्याप्ताके लद्धिया संख्यात गुणे (१०) अपर्याप्ताके अलद्धिये विशेष. (११) सूक्षमके लद्धिये विशेष. (१२) बादरके अलद्धिये वि० (१३) स्थावरके लद्धिये विशे० (१४) त्रसके अलद्विये वि० ( १५ ) असंज्ञीके लद्धिये वि० (१६) संज्ञीके अलद्धिये विशेषाधिक । लद्धिया जेसे संज्ञीके लद्धिये. कहनेसे संज्ञी जीव और संज्ञीके अलद्धिये कहनेसे असंही जीव
और सिद्धोंके जीव गीने जाते है इसी माफीक जीसके लद्धिये कहनेसे वह जीव है और जीसको अलद्धिया कहनेसे उन जीवोंके सिवाय शेष जीव अलद्धिये में गीने जाते है इति ।
चौदाभेद जीवोंकी अल्पाबहुत्व. (१) सर्व स्तोक संज्ञी पांचेन्द्रियका अपर्याप्ता. (२) संज्ञी पांचेन्द्रियके पर्याप्ता संख्यात. गुणे. (३) चौरिन्द्रिय पर्याप्ता संख्या. गु० (४) असंज्ञी पांचे. न्द्रिय पर्याप्ता विशेषः ( ५ ) बेइन्द्रियके पर्याप्ता विशे०। ६) तेहन्द्रियके पर्याप्ता विशेषः । ७ ) असंज्ञी पांचेन्द्रिय के अपर्याप्ता असंख्यात गुणे (८) चौरिंद्रियके अपर्याप्ता विशे० (९) तेइन्द्रियके अपर्याप्ता विशे० (१०) बेइन्द्रियके अपर्याप्ता विशे. : ११) बादर एकेन्द्रियके पर्याप्ता अनंत गुणे ( १२) बादर एकेन्द्रियके अपर्याप्ता असंख्यात गुणे (१३ ) सूक्षम एकेन्द्रियके अपर्याप्ता असंख्यात गुणे ११४) सूक्षम एकेन्द्रिय के पर्याप्ता संख्यातगुणे इति । ... आठ बोलोंकि अल्पाबहुत्व-(१) सर्वस्तोक अभव्य जीव (२) प्रतिपाति सम्यग्द्रष्टि अनंतगुणे ( ३) सिद्धभगवान अनंतगुणे ( ४ ) संसारीजीव अनंतगुणे ५) सर्व पुद्गल अनंतगुणे (६) सर्व काल अनंतगुणे । ७) आकाशप्रदेश अनंतगुणे : ८) • केवलज्ञान केवलदर्शनके पर्यव अनंत गुणे ।
स्तोक परत्तसंसारी जीव, शुक्लपक्षी जीव अनंतगुणे, कृष्ण