________________
संज्ञाधिकार. ( २१९) अल्पाबहुत्व-नरक में (१) स्तोक मैथुनसंज्ञा (२) आहार संज्ञा संख्यातगुणे (३ ) परिग्रहसंज्ञा संख्यातगुणे ( ४ ) भयसंज्ञा संख्थातगुणे-तीर्यच में ( १ ) सर्वस्तोक परिग्रहसंज्ञा. (२) मैथुन संज्ञा संख्यातगुणे, (३) भयतंज्ञा संख्यातगुणे (४) आहारसंज्ञा संख्यातगुणे | मनुप्य में (१) सर्वस्तोक भयसंज्ञा, (२) आहार• संज्ञा संख्यातगुने (३) परिग्रहसंज्ञा संख्यातगुणे (४) मैथुनसंज्ञा संख्यातगुणे । देवतों में ( १ ) सर्वस्तोक आहारसंज्ञा ( २ ) भय. संज्ञा संख्यातगुणे ( ३ मैथुनसंज्ञा संख्यातगुणे (४) परिग्रहसंज्ञा संख्यातगुने. ____नरकम सर्वस्तोक लोभसंज्ञा, मायासंज्ञा संख्यातागुणे मानसंज्ञा संख्या क्रोधसंज्ञा संख्यागु- तीर्यच मनुष्य में सर्वस्तोक मानसंज्ञा, क्रोधसंज्ञा, विशेषाधिक मायासंज्ञा विशेषाधिक, लोभसंज्ञा विशेषाधिक । देवतों में सर्वस्तोक क्रोधसंज्ञा मानसंज्ञा संख्यातगुणे मायासंज्ञा संख्यातगुणे लोभसंज्ञा संख्यातगुणे इति ।
। सेवभंते सेभंते तमेवसच्चम् ।।
थोकडा नम्बर २७
( सूत्र श्री पनवणाजीपद हवा योनिपद ) जावों के उत्पन्न होने के स्थानों को योनि कही जाती है. वह योनि तीन प्रकार की है। शीतयोनि, उष्णयोनि, शीतोष्ण• योनि । पहली, दुसरी, तीसरो, नरक में शीतयोनि नैरिये है. चोथी नरक में शीतयोनि नैरिये ज्यादा है और उप्ण योनि नैरिये