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( २१२) शीघबोध भाग ३ जो.. है उनोंका काल-नरकमें असंख्यात समय के अन्तर महुर्तसे...
आहारकी इच्छा उत्पन्न होती है असुरकुमार देवोंके जघन्य एक दिनसे उ० एकहजार वर्ष साधिक से, नागादि नौ काय के देवोंको तथा व्यंतर देवों को ज० एक दिन उ. प्रत्येक दिनोंसे ज्योतिषी देवोंकों जघन्य उत्कृष्ट प्रत्येक दिनोंसे-वमानीक देवोंमें सौधर्म देवलोक के देवोंकों ज० प्रत्येक दिन उ० २००० वर्ष इशान देवलोक के देवों ज. प्रत्येक दिन उ० साधिक २००० वर्ष, सनत्कु. मार देवलोक के देवोंकों ज. २००० वर्ष. उ० ७००० वर्ष महेन्द्र देवोंके ज० साधिक २००० वर्ष, उ० साधिक ७००० वर्ष. ब्रह्मदे. वों को ज० ७००० वर्ष उ०१००० वर्ष लांतक देवों के ज० १०००० उ० १४००० वर्ष महाशुक्र देवोंको ज० १४००० उ० १७००० वर्ष सदखादेवोंकों ज० १७००० उ० १८.०० वर्ष अणत्देवोंके ज. १८००० उ० १९००० वर्ष पणत् ज० १९००० उ० २०००० वर्ष. आरण्य ज० २०००० वर्ष उ० २१००० वर्ष अच्युत देवोंको ज. २१००० उ० २२००० वर्ष. ग्रीवैक प्रथम त्रीक ज० २२००० उ० २५००० वर्ष. मध्यम त्रीक ज० २५००० उ० २८००० उपरको त्रीक को ज० २८००० उ० ३१००० वर्ष च्यार अनुत्तर.वैमानवासी देवों को ज० ३१००० उ० ३३००० वर्ष सर्वार्थ सिद्ध वैमानवासी देवोंकों ज० उ० ३३००० वर्षोंसे आहार इच्छा उत्पन्न होती है। पांच स्थावर कों निरान्तराहार इच्छा होती है. तीन वकलेन्द्रिय कों अन्तर महुर्तसे. तीर्यच पांचेन्द्रि ज० अन्तर महुर्त उ० दो दिनोंसे ओर मनुष्यकों आहार इच्छा ज० अन्तरमहुर्त उ० तीन दिनौसे आहार इच्छा उत्पन्न होती है।
(४) नारकी के नैरिये जो आहारपणे पुद्गल ग्रहन करते है वह न्यसे अनंते अनंतप्रदेशी, क्षेत्रसे असंख्यात प्रदेश अवगाहान कीये हुवे, कालसे एक समयकि स्थिति यावत् असंख्यात