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शीघ्रबोध भाग ३ जो.
द्रव्यके उत्तर सामान्य स्वभाव ।
(१) अस्तिस्वभाव- द्रव्य-द्रव्यका गुणपर्याय. क्षेत्र जिस : क्षेत्रमें द्रव्य रहा हुवा है-काल द्रव्यमें उत्पात व्यय ध्रुव-२ -भाव एक समय कारणकार्य स्वभाव । जेसे घट घट अस्तित्व' और पटमे पटका अस्तित्वं ।
( २ ) नास्तिस्वभाव - एक द्रव्यकि अपेक्षा दुसरे द्रव्य में बह द्रव्य क्षेत्र काल भाव नहि है जेसे घटमें पटक नास्ति पटमें afa नास्ति ।
(३) नित्यस्वभाव - द्रव्यमें स्वगुणो प्रणमनेका स्वभाव free है.
(४) अनित्यस्वभाव - द्रव्य में परगुण प्रणमनेका स्वभाव. अनित्य है ।
(५) एक स्वभाव - द्रव्यमें द्रव्यत्व गुण एक है.
(६) अनेकस्वभाव - द्रव्यमें गुण पर्याय स्वभाव अनेक है
(७) भेदस्वभाव--- आत्म परगुणापेक्षा भेद स्वभाववाला है जैसे चैतन्य कर्मसंग परवस्तुकों अभेद मान रखी है तथापि चैतन्य जडत्वमें भेद स्वभाववाले हं मोक्षगमन समय निजगुणोंसे जड भेद स्वभाववाले ह.
(७) अभेदस्वभाव-- आत्माके ज्ञानादि गुण अभेद स्वभाववाले है.
( ९ ) भव्यस्वभाव - - आत्माके अन्दर समय समय गुणप afe कारण कार्यपणे प्रणमते रहेना इनकों भव्व स्वभाव कहते है ।
(१०) अभव्वस्वभाव - आत्माका मुल गुण कीसी हालतमे नही बदलता है याने हरेक द्रव्व अपना मुल गुणकों नही पलटाते है