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नयाधिकार.
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पायली तैयार करनेपर पायली मानी । रूजुसूत्रनय परिणाम ग्राही होनेसे धान्य भरने पर पायली माने । शब्दनय पायली के उपयोग अर्थात् धान्य भर के उनकि गणीती लगाने से पायली मानी । संभिरूढनय पायली के उपयोगको पायली मानी । एवं मूतनय - सर्व दुनिया उने मंजूर करने पर पायली मानी इति ।
प्रदेशका दृष्टान्त - नैगमनयवाला कहता है कि प्रदेश छे प्रकारके है यथा-धर्मास्तिकायका प्रदेश, अधर्मास्तिकायका प्रदेश, आकाशास्तिकायका प्रदेश, जीवास्तिकायका प्रदेश, पुद्गलास्तिकाय के स्कन्धका प्रदेश, तस्स देशका प्रदेश, इस नैगमनय वालासे मंग्रहनयवाला बोलाकि एसा मत कहो क्यों कि जो देशका प्रदेश कहा है वहां तों देश स्कन्धका ही है। वास्ते प्रदेश भी स्कन्धका हुवा तुमारा कहने पर दृष्टान्त जेसे कीसी साहुकारका दासने अपने मालक के लिये एक खर मूल्य खरीद कीया तब साहुकारने कहा कि यह दाश भी मेरा ओर खर भी मेरा है इस न्यायसे दाश और खर दोनों साहुकारका ही हुवा इसी माफीक स्कन्धका प्रदेश ओर देशका प्रदेश दोनों पुद्गल द्रव्यका ही हुवा इस वास्ते कहो कि पांच प्रकारके प्रदेश है यथा-धर्मास्तिकायका प्रदेश० अधर्म० प्रदेश- आकाश० प्रदेश, जीवप्रदेश, स्कन्ध प्रदेश, इन संग्रहनयवाले ने पांच प्रदेशमाना इस पर व्यवहारनयवाला बोला कि पांच प्रदेश मत कहो ? क्यों कि पांच गोटीले पुरुषों के पास द्रव्य है वह चान्दी सुवर्ण धन धान्य तो एसा एक गोटीले के अन्दर च्यारों धनका समावेश हो शकेगें इस वास्ते कहो के पांच प्रकारके प्रदेश है यथा धर्मास्तिकायका प्रदेश यावत् स्कन्ध प्रदेश इल माफीक व्यवहारनयवाला बोलने पर ऋजुसूत्रनयवाला बोला कि एसा मत कहो कि पांच प्रकार
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