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(१४०) शीघ्रबोध भाग २ जो.
एवं २५ भांगे हुवे । समुच्चय जीव ओर चौवीस दंडकपर पचवीस गुण करनेसे ६२५ भांगे हुवे. जीस समयके ६२५ जीस देशमें के ६२५ जीस प्रदेशके १२५ एवं सर्व २५०० एवं बहुपच नापेक्षा २५०० मीलाके सर्व ५००० भांगे हुवे।
जीव प्राणातीपातका विरमण । त्याग ) करे वह छे जीवनी कायासे करे. मृषावाद का त्याग सर्व द्रव्यसे करें. अदत्तादानका • त्याग ग्रहनधरण द्रव्योंसे करे मैथुनका त्याग रूप और रूप के अनुकुल द्रव्योंसे करे परिग्रह के त्याग सर्व द्रव्यसे करे. क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, कलह अभ्याख्यान पैशुन्य परपरीबाद रति अरति मायामृषावाद और मिथ्यादर्शन शल्यका त्याग सर्व द्रव्य से करे. एवं मनुष्य तथा २३ दंडक के जीव सतरा पापों का त्याग नही कर सके मात्र पांचेन्द्रिय के १६ दंडक के जीव मिथ्यादर्शन शल्यका त्याग कर सके है शेष आठ दंडक नही करे एवं समुच्चय जीव और चौवीस दंडक को अठारा गुणे करनेसे ४५० भांगे होते है। ____ समुच्चय जीव प्राणातिपात का त्याग कीया हुवा कोतने कर्म बान्धे ? सात कर्म बान्धे आठ कर्म बान्धे छे कर्म बान्धे एक कर्म बान्धे तथा अबन्धकभी होता है। बहुत जीवोंकि अपेक्षा सात, आठ, छे एक कर्म बान्धनेवाले तथा अबन्धकभी होते है । इसी माफीक मनुष्य में भी समजना शेष तेवीस दंडकमें प्राणा. तिपातका सर्वथा त्याग नही होते है ॥
समुच्चय जीवोंमें सात कर्म वान्धनेवाले तथा एक कर्म बा. न्धनेवाले सदैव सास्वता मीलते है और आठ, छे और अबा. न्धक असास्वता होते है जिनके भांगे २७ होते है।