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________________ (१०) १२०] अनुबन्धः सनिमधरि, निसमधरि, मनिसधरि, निमसधरि, सधनिमरि, धसनिमरि, सनिधमरि, निसधमरि, धनिसमरि, निधसमरि,°° मधनिसरि, धमनिसरि, मनिधसरि, निमधसरि, धनिमसरि, निधमसरि, रिमधनिस, मरिधनिस, रिधमनिस, धरिमनिस,०° मधरिनिस, धमरिनिस, रिमनिधस, मरिनिधस, रिनिमधस, निरिमधस, मनिरिधस, निमरिधस, रिधनिमस, धरिनिमस, रिनिधमस, निरिधमस, धनिरिमस, निधरिमस, मधनिरिस, धमनिरिस, मनिधरिस, निमधरिस, धनिमरिस, निधमरिस.120 (१०) सरिपधनि, रिसपधनि, सपरिधनि, पसरिधनि, रिपसधनि, परिसधनि, सरिधपनि, रिसधपनि, सधरिपनि, धसरिपनि,10 रिधसपनि, धरिसपनि, सपधरिनि, पसधरिनि, सधपरिनि, धसपरिनि, पधसरिनि, धपसरिनि, रिपधसनि, परिधसनि, रिधपसनि, धरिपसनि, पधरिसनि, धपरिसनि, सरिपनिध, रिसपनिध, सपरिनिध, पसरिनिध, रिपसनिध, परिसनिध, सरिनिपध, रिसनिपध, सनिरिपध, निसरिपध, रिनिसपध, निरिसपध, सपनिरिध, पसनिरिध, सनिपरिध, निसपरिध,° पनिसरिध, निपसरिध, रिपनिसध, परिनिसध, रिनिपसध, निरिपसध, पनिरिसध, निपरिसध, सरिधनिप, रिसधनिप, सधरिनिप, धसरिनिप, रिधसनिप, धरिसनिप, सरिनिधप, रिसनिधप, सनिरिधप, निसरिधप, रिनिसधप, निरिसधप,०० सधनिरिप, धसनिरिप, सनिधरिप, निसधरिप, धनिसरिप, निधसरिप, रिधनिसप, धरिनिसप, रिनिधसप, निरिधसप, धनिरिसप, निधरिसप, सपधनिरि, पसधनिरि, सधपनिरि, धसपनिरि, पधसनिरि, धपसनिरि, सपनिधरि, पसनिधरि, ° सनिपधरि, निसपधरि, पनिसधरि, निपसधरि, सधनिपरि, धसनिपरि, सनिधपरि, निसधपरि, धनिसपरि, निधसपरि,°° पधनिसरि, धपनिसरि, पनिधसरि, निपधसरि, धनिपसरि, निधपसरि, रिपधनिस, परिधनिस, रिधपनिस, धरिपनिस,10° परिनिस, धपरिनिस, रिपनिधस, परिनिधस, रिनिपधस, निरिपधस, पनिरिधस, निपरिधस, रिधनिपस, धरिनिपस, रिनिधपस, निरिधपस, धनिरिपस, निधरिपस, पधनिरिस, धपनिरिस, पनिधरिम, निपधरिस, धनिपरिस, निधपरिस.२० (११) * 11111111111111111111111 Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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